बोलने की कला (Communication Skill)


How To Speak?

बोलने की कला से ही व्यक्ति इस संसार में सर्वोपरि हुआ है, क्योंकि उसके पास अपने विचारों को व्यक्त करने की कला है| जिसके पास बोलने कि अच्छी कला है वो इस भीड़ में अपनी पहचान बना लेता है| अगर आप एक आकर्षक, प्रभावी और खुसमिजाज व्यक्तित्व बनाना चाहते है तो आपको बोलने की कला का ज्ञान होना चाहिए!
      ऐसी बानी बोलिय, मन का आपा खोय|
      औरन को शीतल करे, आपहि शीतल होय||
  • दूसरो से बात करते समय विषय पर ही केन्द्रित रह कर बात करेl
  • एक सी आवाज में न बोले| भावों के अनुसार आवाज में उतार-चड़ाव का होना बहुत जरुरी है|
  • बहुत तेज आवाज में ना बोले| यह सामने वाले को बुरी लगती है और इतनी धीमी आवाज में भी न बोले कि सामने वाला आपको अच्छी तरह से सुन ना सके| बोलने में जल्दबाजी न करे|
  • किसी विशेष विषय पर बोलने से पहले उसके रेस्पेक्टिवे शब्दो को याद कर ले|
  • सामने वाले कि बात पहले पूरी होने के बाद ही बोले चाहिए आप को उस बात का ज्यादा नॉलेज हो|
  • बात को इस प्रकार व्यवस्थित करे कि कम शब्दों में बात का सार सामने आ जाये|
  • बोलते समय खास ध्यान रखे कि कोई भी एसी बात न करे जिससे दूसरो को दुःख पहुचता हो बात-बात पर जो लोग ताने मारते है वो किसी को भी पसंद नहीं है| 
  • महान वक्ता कारनेगी कहते हैं- सफल और असफल व्यक्ति के बीच यह फर्क होता है कि प्रभावी बोलने की कला से और स्वयं को सटीक रूप में अभिव्यक्त करने की क्षमता से।
  • सामने वाले कि तार्किक क्षमता के अनुसार शब्दो का प्रयोग करेl

सुनने की कला कैसे विकसित करे?
एक सफल आदमी बनने के लिए सुनने की कला बहुत महत्वपूर्ण है
  • श्रवण के लिए हृदय शांत, खुला होना चाहिए। शांत हृदय में ज्ञान प्रवेश करता है।
  • इतनी तल्लीनता से उसे सुनें कि दूसरा व्यक्ति अपने गहरे से गहरे राज आपके सामने खोले।
  • सुनने की कला के आभाव के कारण हम सामने वाले को बोलने का अवसर नहीं देते जिससे एक-दुसरे में मनमुटाव हो जाता है इस कला के न होने कारण हम किसी को भली-भाती समझ नहीं पाते है और अपने आप को सबसे से अलग कर देते है l
  • कुछ भी सुने पूरी एकाग्रता से सुने l मेरे पर्सनल अनुभव से में आपको बताता हू कि अक्सर जब क्लास में केमिस्ट्री या मैथ का पिरियिड आता है तो नींद आने लगती इसका मुख्य कारण येही है कि हमारे माइंड में बेठ गया है कि केमिस्ट्री या मैथ समझ में नहीं आती है जिससे ध्यान क्लास में नहीं रहता बहार कि वस्तओं में चला जाता है और कुछ भी समझ में नहीं आता है l
  • आपने प्रायः महसूस किया होगा कि बार-बार याद करवाने पर भी बच्चो को पाठ्यपुस्तक कि कविता याद नहीं होती और दूर बजता हुआ फिल्मी गाना एक दो बार सुनने पर ही याद रह जाता है l कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है क्योकि पहला बंधन है और दूसरा आनंद है अतः आनंद लीजिये, आनंद से सुनी हुई बात हमेसा याद रहती हैl
हमें अपनी दैनिक जीवन में काम के अलावा प्रेरणास्पद, ज्ञानवर्धक बाते भी अवश्य सुननी चाहियl
      संगीत मन को शान्ति
      प्राथर्ना  - कर्तव्य बोध
      भजन आत्मिक शान्ति 



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Comments

  1. बहुत अच्छा प्रयास है मुझे आपके ब्लॉग पर आना बहुत पसंद है आपका बहुत - बहुत धन्यवाद

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