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Showing posts from April, 2015

Full Form & Short Form : GDP, DDP, GDP, FY, BPO

इस सप्ताह अर्थ जगत से जुड़े कुछ संक्षिप्त रुपाें काे जानिए। ASSOCHAM: Associated Chambers  of Commerce and Industry of India BIFR: Board for Industrial and Financial Reconstruction BPO: Business Process Outsourcing B2B: Business-To-Business B2C: Business-To-Consumer COO: Chief Operating Officer DDP : Desert Development Programme DICGC : Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation FICCI: Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry FY : Fiscal Year GDP : Gross Domestic Product

मुर्गी फार्म या पालन कैसे करें?

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कुक्कुट ( मुर्गी पालन ) अंडे व कुक्कुट मांस के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मुर्गी पालन किया जाता है। इसलिए कुक्कुट पालन में उन्नत मुर्गी की नस्लें विकसित की जाती हैं। अंडों के लिए अंडे देने वाली (लेयर) मुर्गी पालन किया जाता है तथा मांस के लिए ब्रौलर को पाला जाता है। निम्नलिखित गुणों के लिए नयी-नयी किस्में विकसित की जाती हैं। नयी किस्में बनाने के लिए देशी जैसे एसिल तथा विदेशी जैसे लेगहार्न नस्लों का संकरण कराया जाता है। (1) चूजों की संख्या तथा गुणवत्ता (2) छोटे कद के ब्रोलर माता-पिता द्वारा चूजों के व्यावसायिक उत्पादन हेतु अंडों तथा ब्रौलर का उत्पादन ब्रौलर चूजों को अच्छी groth दर तथा अच्छी आहार दक्षता के लिए विटामिन से प्रचुर आहार मिलते हैं। उनकी मृत्यु दर कम रखने और उनके पंख तथा मांस की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सावधानी बरती जाती है। उन्हें ब्रौलर के रूप में उत्पादित किया जाता है तथा मांस के प्रयोजन के लिए विपणन किया जाता है। मुर्गी पालन में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अच्छी प्रबंधन प्रणालियाँ बहुत आवश्यक हैं। इसके अंतर्गत इनके आवास में उचित ताप तथा स्...

पशु पालन में पशु कृषि क्या है?

पशुपालन पशुधन के प्रबंधन को पशुपालन कहते हैं। इसके अंतर्गत बहुत-से कार्यऋ जैसे भोजन देना , प्रजनन तथा रोगों पर नियंत्राण करना आता है। जनसंख्या ग्रोथ तथा रहन-सहन के स्तर में ग्रोथ के कारण अंडों , दूध तथा मांस की खपत भी बढ़ रही है। पशुधन के लिए   मानवीय व्यवहार के प्रति जागरूकता होने के कारण पशुधन खेती में वुफछ नई परेशानियाँ भी आ गई है। इसलिए पशुधन उत्पादन बढ़ाने व उसमें सुधार की आवश्यकता है। पशु कृषि पशुपालन के दो उद्देश्य हैं दूध देने वाले तथा कृषि कार्य ; हल चलाना , सिंचाई तथा बोझा ढोनेद्ध के लिए पशुओं को पालना। भारतीय पालतू पशुओं की दो मुख्य स्पीशीश हैंः गाय ; वाॅस इंडिकसद्ध , भंैस ; वाॅस बुवेलिसद्ध। दूध देने वाली मादाओं को दुधारू पशु कहते हैं।दूध उत्पादन , पशु के दुग्धस्रवण के काल पर वुफछ सीमा तक निर्भर करता है। जिसका अर्थ है बच्चे के जन्म के पश्चात् दूध उत्पादन का समय काल। इस प्रकार दूध उत्पादन दुग्धस्रवण काल को बढ़ाने से बढ़ सकता है। लंबे समय तक दुग्धस्रवण काल के लिए विदेशी नस्लों जैसे जर्सी , ब्राउन स्विस का चुनाव करते हैं। देशी नस्लोंय जैसे- रेडसिंधी , साहीव...

जाने Bhopal Gas त्रासदी को : क्या हुआ था उस रात को

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भोपाल गैस त्रासदी 31 साल पहले भोपाल में दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी हुईं भोपाल में यूनियन कार्बाइड नामक अमेरिकी कंपनी का कारखाना था जिसमें कीटनाशक बनाए जाते थे। 2 दिसंबर 1984 को रात के 2 बजे यूनियन कार्बाइड के इसी संयंत्रा से मिथाइल आइसोसाइनाइड ( मिक) गैस रिसने लगी। यह बेहद जहरीली गैस होती है...। इस दुर्घटना की चपेट में आने वाली अज़ीज़ा सुल्तान: तकरीबन 12.30 बजे मुझे अपने बच्चे की तेश खाँसी की आवाज सुनाई दी। कमरे में हल्की सी रोशनी थी। मैंने देखा कि पूरा कमरा सफेद धुँए से भरा हुआ था। मुझे लोगों की चीखने की आवाजे सुनाई दीं। सब कह रहे थे , ‘ भागो , भागो ’ । इसके बाद मुझे भी खाँसी आने लगी। लगता था जैसे मैं आग में साँस ले रही हूँ। आँखें बुरी तरह जलने लगीं। तीन दिन के भीतर 8,000 से ज्यादा लोग मौत के मुँह में चले गए। लाखों लोग गँभीर रूप से प्रभावित हुए। शहरीली गैस के संपर्क में आने वाले ज्यादातर लोग गरीब कामकाजी परिवारों के लोग थे। उनमें से लगभग 50 , 000 लोग आज भी इतने बीमार हैं कि वुफछ काम नहीं कर सकते। जो लोग इस गैस के असर में आने के बावजूद जिंदा...

कवी प्रेमचंद की ज़िन्दगी और उनकी रचनाओं का परिचय

प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 में बनारस के लमही गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम धनपत राय था। प्रेमचंद का बचपन अभावों में बीता और शिक्षा बी.ए. तक ही हो पाई। उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी की परंतु असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी से त्यागपत्रा दे दियाऔर लेखन कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गए। सन् 1936 में इस महान कथाकार का देहांत हो गया।                 प्रेमचंद की कहानियाँ मान सरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। सेवासदन , प्रेमाश्रम , रंगभूमि , कायाकल्प , निर्मला , गबन , कर्म भूमि , गोदान उनके प्रमुख उपन्यास हैं। उन्होंने हंस , जागरण , माधुरी आदि पत्रिकाओं का संपादन भी किया। कथा साहित्य के अतिरिक्त प्रेमचंद ने निबंध एवं अन्य प्रकार का गद्य लेखन भी प्रचुर मात्रा में किया। प्रेमचंद साहित्य को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम मानते थे। उन्होंने जिस गाँव और शहर के परिवेश को देखा और जिया उसकी अभिव्यक्ति उनके कथा साहित्य में मिलती है। किसानों और मशदूरों की दयनीय स्थिति , दलितोंका शोषण , समाज म...