कवी प्रेमचंद की ज़िन्दगी और उनकी रचनाओं का परिचय
प्रेमचंद का जन्म
सन् 1880 में बनारस के लमही गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम धनपत राय था। प्रेमचंद
का बचपन अभावों में बीता और शिक्षा बी.ए. तक ही हो पाई। उन्होंने शिक्षा विभाग में
नौकरी की परंतु असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी से
त्यागपत्रा दे दियाऔर लेखन कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गए। सन् 1936 में
इस महान कथाकार का देहांत हो गया।
प्रेमचंद की कहानियाँ मान सरोवर के आठ भागों में संकलित
हैं। सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कायाकल्प, निर्मला, गबन, कर्म भूमि,गोदान उनके प्रमुख उपन्यास हैं। उन्होंने हंस, जागरण, माधुरी आदि पत्रिकाओं का संपादन भी किया। कथा
साहित्य के अतिरिक्त प्रेमचंद ने निबंध एवं अन्य प्रकार का गद्य लेखन भी प्रचुर
मात्रा में किया। प्रेमचंद साहित्य को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम मानते थे।
उन्होंने जिस गाँव और शहर के परिवेश को देखा और जिया उसकी अभिव्यक्ति उनके कथा
साहित्य में मिलती है। किसानों और मशदूरों की दयनीय स्थिति, दलितोंका शोषण, समाज में स्त्री की दुर्दशा और स्वाधीनता
आंदोलन आदि उनकी रचनाओं के मूल विषय हैं।प्रेमचंद के कथा साहित्य का संसार बहुत
व्यापक है। उसमें मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षियों को भी अद्भुत आत्मीयता मिली है।
बड़ी से बड़ी बात कोसरल भाषा में सीधे और संक्षेप में कहना प्रेमचंद के लेखन की
प्रमुख विशेषता है। उनकी भाषा
सरल, सजीव एवं मुहावरेदार है तथा उन्होंने अरबी, फारसी और अंग्रेशी के प्रचलित शब्दों का प्रयोग
कुशलतापूर्वक किया है।
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