वास्तविक रूप को पहचानें-Hindi Kahani


वास्तविक रूप को पहचानें
एक बार अकबर व बीरबल में एक विषय पर वादविवाद हुआ कि संसार में देखने वालों की संख्या ज्यादा है या नेत्रहीनो की। अकबर का मत था कि देखने वालो कि संख्या अधिक है जबकि बीरबल का मानना था कि दृष्टी रखने वाले अल्पसंख्या में है। अकबर ने बीरबल को अपना मत प्रमाणित करने को कहा।
     बीरबल कपडे का लम्बा टुकड़ा लाए। उसे सिर में लपेटकर लोगो से पूछा- यह क्या है? सबने कहा- साफा। इसके बाद उसी कपडे को गले में लपेटकर पूछा- यह क्या है? सबने कहा चादर। फिर बीरबल ने कपडे को कमर में लपेटकर पूछा, तब सबने कहा- यह धोती है।
     तब बीरबल ने अकबर से कहा- देखिये, ये सब नेत्रहीन है। दृष्टी होते हुए भी मूलवस्तु को नहीं देखते। यह कपडा तो कपडा ही है, लेकिन स्थान भेद के कारण लोग इसे भिन्न नामों से पुकारते है व रूप को भिन्न मानते है। दुनिया ऐसे नेत्रहीनों से भरी पड़ी है, जो केवल बाहरी रूप देखते है। जो वास्तविकता को नहीं पहचानते, नेत्रहीन ही खहे जाएगे।
     दुआ करे की हम अपनी आखो को खुला रखकर संसार की प्रत्तेक वस्तु के वास्तविक रूप को पहचाने की काबिलियत हासिल कर पाएंगे।  

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