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आपने मशहूर नेपोलियन का नाम तो सुना ही होगा उनके युद्धकोसल के प्रेरक किस्सों से इतिहास के पन्ने रंगे हुय है ऐसे योद्धा बार-बार जन्म नहीं लेते। उसी तरह उनकी भलाई व नेकदिली भी मशहूर है। नेपोलियन को सुबह-सुबह टहलने की आदत थी। एक बार जब वे सैर करने निकले, तो उनके साथ उनकी परिचारिका भी थी। नेपोलियन मैदान में बनी पगडण्डी में चले जा रहे थे। परिचारिका सुरक्षा की दृष्टी तथा सम्राट नेपोलियन के लिए मार्ग प्रशस्त करने के उदेश्य से आगे-आगे चल रही थी। थोडा आगे जाने पर परिचारिका ने देखा कि सामने से एक बूढी ओरत अपने सिर पर कुछ सामान रखकर आ रही है। पगडंडीसंकरी थी। परिचारिका ने आगे बढ़कर उस ओरत से कहा- सम्राट आ रहे है, एक तरफ हो जाओ। नेपोलियन ने ये सुना, तो उस परिचारिका से बोले- मदाम,बूढ़े और बोझ से दबे लोगो का आदर करो। इतना कहकर वे स्वम पगडंडी से उतर गए और बूढी दे निकलने के लिए रास्ता खाली कर दिया। बड़ा होना ही अहमियत नहीं रखता, बड़ो में बड़प्पन का भाव भी होना चाहिए। नेपोलियन जीवन के इस नियम से भलीभाती परिचित थे। आइए, दुआ करे कि हम सब एक-दुसरे के दर्द को समझकर, अगर बोझ बाट न भी सके, तो कम से कम उसे कम करने या उसे उठाने वाले का सम्मान करना तो सीखेगे ही।
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