दिल को छु जाने
वाली ग़जल(Ghazal)
बर्फ है हम तेरे छूने से पिघल जाएंगे।
रफीक बनके हर इक सांचे में ढल जाएंगे।
साथ रखते है- बुजुर्गो की दुआओं को तो हम
हादसे पेश भी आएँगे तो टल जाएंगे।
राख के ढेर में पोशीदा है चिंगारी भी
चल पड़े इसपे जो गफलत में तो जल जाएंगे।
आदतें छोड़ना आसान नहीं मुश्किल है
कोशिशें कर भी ले रस्सी के न बल जाएंगे।
दिल धडकता है उसके नाम से अब भी मेरा
कब मेरे जहन से यादों के ये पल जाएंगे।
हुई शर्मिंदगी बच्चे ने जब कहा हमसे
रोज ही कहते हो बाजार में कल जाएंगे।
अमीर के हो जाएंगे दिल नरम अगर
गरीब उनके इशारे ही से पल जाएंगे।
गुरुर ठीक नहीं कह दो नाजनीनो से
उम्र के ढलते ही चेहरे के न शल जाएंगे।
राह फिसलन भरी चलना जरा सलीके से
किया न एहतियात फ़ौरन ही फिसल जाएंगे।
तुमको रोनक जरा इतना भी याद है के नहीं
जिस्म पानी में रखे रहने से गल जाएंगे।
रोनक रशीद खान
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