हिंदी कहानी
एक बार हमारा
कार्यकर्म सपरिवार पहाड़ो में घुमने का बना। हम बहुत खुश थे और ये भी सोच रहे थे कि
सफर कैसा होगा। रजवाड़ा के पास हमारी भुआ रहती है। रात को हम उनके पास पहुचे।
फूफाजी ने बताया कि घाना के पास के पास के एक गाव में उनके रिश्तेदार रहते है, और
वहा घुमने के लिए अच्छी जगह भी है तो वहां चले गए।
अगली सुबह हम जब हम वहां पहुचे तो एक छोटा
सा एकदम अनजान सा गाँव था लेकिन वहां के लोगो के विशाल ह्रदय और मेहमाननवाजी न मोह
लिया। उनसे हमारी सीधी जानपहचान नहीं थी, फिर भी अपना सारा घर हमारे लिए खोल दिया,
दोपहर के लिए सबके लिए खाना बनाया व हमारी खूब खातरदारी की।
शाम को जब हम वहां से लोटने का मन बना रहे
थे तो उन्होंने आपने मोसमी के बगीचे से हमे मोसमी थोहफे में दी और कहा फिर कभी
टाइम मिले तो आना। जब हम वापस ;लोटने के लिए स्टेशन पर गये तो हमारी ट्रेने छुट
गयी थी। अगली ट्रेने आने में वक्त था लेकिन वहा के स्टेशन मास्टर ने हमारे लिए न
केवल कमरा खोल कर दिया बल्कि हमें अच्छे तरीके से विदा किया ऐसा सब देखकर मन
प्रफुलित हो उठा की अगर पूरी दुनिया में ऐसे लोग हो जाए तो जीवन कितना सुखमय हो
जाए।
आपके योगदान के लिए धन्यवाद! ConversionConversion EmoticonEmoticon