प्यार बांटते चलो
आप जितना अधिक दुसरो
को देते है उतना ही अधिक आपको प्राप्त होता है। आप जितना अधिक किसी को देते है, वह
उससे अधिक किसी को देता है। जीवन सह्रदयता का दूसरा नाम है।
ऐसी ही एक घटना मैने देखी थी दिल्ली के
नेहरु प्लेस क्षेत्र में। संध्या 6:15 का समय था और वाहनों की आवाजाही काफी अधिक थी। एक व्यक्ति अचानक ऑटो से
कूद कर बाहर निकला और बीच चोराहे पर खड़ा होकर अन्य वाहनों को रोकने की कोशिश करने लगा।
कुछ ने तो लगभग टक्कर मर भी मर दी लेकिन फिर भी वो लोगों से निरंतर रुकने का आग्रह
करता रहा और तब लोगों ने देखा की वो एक एम्बुलेंस को सड़क पार करवाने के लिए यह सभी
प्रयत्न कर रहा था इस अज्ञात नागरिक ने अपने प्रयास से उस एम्बुलेंस के रोगी को
बचा लिया ऐसा तो नहीं कहा जा सकता लेकिन उसने अपने कर्त्तव्य का पालन बखूबी किया।
इस प्रकार की घटनाए अखबारों में कोई स्थान नहीं बना पाती और हम आप भी इसे मात्र यह
कह कर टल सकते है कि वह अपने फर्ज को निभा रहा था।
इसी तरह लोग पोधे लगाते है, अस्पताल में
सेवा करते है, अंधे को रास्ता पार करवाते है। लेकिन येही वो लोग है जो इस दुनिया
को सुन्दर स्थान बनाते है। ये लोग कुछ करते है, वह एक कर्म है जो ह्रदय से प्रेरित
है। येही सेवा भाव प्रबल है। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था “दूसरों के लिए हमारे कर्त्तव्य का अर्थ है दूसरों की
सहायता करना, दुनिया के लिए नेक कार्य करना।”
राजस्थान पत्रिका ‘परिवार’
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