परीक्षा के दौरान बच्चों और पेरेंट्स पर बेहतर रिजल्ट को लेकर मानसिक दबाव
जबरदस्त होता है। ऐसे समय में कई बार बच्चों को कुछ मनोवैज्ञानिक समस्याए हो
जाती है। वे ‘एंजाइटी’ के शिकार तक हो जाते है और
अवसाद में चले जाते है, जो कि काफी गंभीर है। परीक्षा के इस तनाव से कैसे निपटा
जाए, आइए जानते है...
सवाल : 1
बच्चों को लगता है कि परीक्षा देते समय वे सब कुछ भूल
जाएंगे, इससे बाहर कैसे निकला जाए?
जवाब -
बच्चों के लिए : सबसे पहली बात है कि बच्चों कि उम्र के हिसाब से उनके कोर्स
डिजाईन होते है। जो बच्चे रोजाना पुरे साल पढाई करते है, उन्हें इस तरह कि समस्या
आती है। इसके अलावा पढाई के दौरान समय-समय पर मोकतेस्ट और फीडबेक लेते रहे, उससे
भी तनाव कम होता है। रोजाना एक्सरसाइज और ध्यान करने से भी बेस लाइन एंजाइती (जिसमें
नर्वसनेस बहुत जल्दी आ जाती है।) बहुत कम हो जाती है। इसके अलावा बच्चो को रोजाना
अच्छी नींद लेना भी जरुरी है। पढाई के दौरान बच्चे अपने को क्रोस्चेक बिलकुल न
करे, क्योंकि इस कारण से भी उनके अंदर एंजाइटी बढ़ सकती है। पढ़ते वक्त रटने के बजाय
पॉइंट्स और कांसेप्ट क्लियर करें और हर चेप्टर के मुख्य पॉइंट्स को नोट जरुर करते
रहे।
अभिभावकों के लिए : परीक्षा के दौरान अभिभावकों को यह चाहिए कि वो बच्चों के
खान-पान पर विशेष ध्यान दें। दिमाग को उत्तेजित करने वाले पदार्थ जैसे चाय, कॉफ़ी
को बच्चों को ज्यादा न दे। फ़ास्ट फूड्स कि जगह हेल्थी डाइट दें। उनकी नींद का
ख्याल रखे। सोशल फंक्शन जैसे शादी वगेरह में भी उन्हें डीएम ले जाएं और जितना हो
सके पढाई का माहोल घर में बनाएं।
सवाल : 2
त्यौहार और परीक्षा के बीच बच्चे कैसे संतुलन बनाये?
जवाब -
बच्चों के लिए : परीक्षा का मतलब ही होता है मन और इन्द्रियों पर नियन्त्रण
रखना। ऐसे
में बच्चो को चाहिए कि वो त्यौहार के
चक्कर में अपने कारेअर और पढाई से समझोता ना करें। पढाई उनका प्राथमिक लक्ष्य है,
जिसे लेकर वे हमेशा गंभीर रहे। त्यौहार उनका ध्यान पढाई से हटा सकते है। इसलिए उन
पर ध्यान देने के बयाय वो पढाई पर ज्यादा ध्यान दें।
अभिभावकों के लिए : अभिभावकों को चाहिए त्यौहार के सीजन में भी जितना हो सके,
घर माहोल पढाई वाला बनाये रखे, ताकि बच्चों का मन ना भटके। बच्चो का कनर ऐसी जगह
होना चाहिए जहा महमानों कि आवाजाही ना हो, ताकि बच्चे शांति से पढाई के सके।
सवाल : 3
परीक्षा की तैयारी के दौरान बच्चे सबसे ज्यदा स्ट्रेस में
रहते है। न ठीक से खाते है और न ही सो पाते है। ऐसे बच्चों और बड़ो को क्या करना
चाहिए?
जवाब -
बच्चों के लिए : स्ट्रेस को दूर करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चे
पर्याप्त नींद ले। पढाई के बिच में दो से तिन घंटे में कुछ न कुछ खाते रहे। परीक्षा
के दौरान नई चीज बिलकुल न पढ़े, बल्की जो पहले पढ़ चुके है, उन्हें अच्छे से दोहराहे।
अभिभावकों के लिए : बच्चो पर किसी तरह का दबाव न डालें। उन्हें पढाई के लिए
प्रोत्साहित करें कि कैसे वो अच्छे से पढाई कर सकते है। उन्हें पढाई के लिए इजी ट्रिक्स
बताये।
सवाल : 4
परीक्षा के दौरान पेरेंट्स का व्यवहार बच्चों के साथ कैसे
होना चाहिए?
जवाब -
बच्चों के लिए : चूँकि परीक्षा का दबाव बच्चो के साथ पेरेंट्स को भी होता है।
इसलिए बच्चो को चाहिए कि अगर पेरेंट्स उन्हें कुछ कह भी देते है तो उस बात को दिल
से ना लगाकर अपनी पढाई में पूरा ध्यान लगाए।
अभिभावकों के लिए : अभिभावकों यह चाहिए कि बच्चों के अंदर जितनी क्षमता है,
उसके अनुरूप ही उनसे अपेक्षाए रखे। पेरेंट्स अपनी अधूरी इच्छाए बच्चो के जरीय पूरा
करने की कोशिश ना करें।
हंसी
ठिठोली –
पप्पू, चिंटू से – दिन में चेन नहीं, रत में नींद
नहीं आ रही है, जी नहीं लग रहा है, क्या यह प्यार है?
चिंटू – नहीं मेरे दोस्त, सभी एग्जाम वालो का आजकल यही हाल
है।
ऑपरेशन से बाहर आते हुए डॉक्टर और एग्जाम देने के बाद स्टूडेंट का उत्तर एक
जैसा ही होता है
हमने अपना बेस्ट दिया है, अब आगे क्या होगा, कुछ कहा जा सकता है।
आपके योगदान के लिए धन्यवाद! ConversionConversion EmoticonEmoticon