पराया सुख
Kahani धनीराम के कमरे के आगे एक पेड़ था। उस पर बहुत सारी चिड़ियाँ अपना-अपना घोसला बनाकर रहती थी। एक चिड़ी के मन में ना जाने क्या आई कि वह धनीराम के कमरे के अंदर हिल गई। वह दिन भर बाहर उड़ती फिरती और शाम को ज्यों ही धनी राम कमरा खोलता, अंदर आ जाती। पर्दे के पीछे छुप कर बैठ जाती। रात भर आराम करती। सुबह जब धनीराम खड़ा होकर कमरा खोलता, वह कमरे के बाहर निकल जाती। अगर कमरा खुला होता तो वह पूरी दोपहर कमरे में सुस्ताती। वहां उसे कूलर और पंखे की ठंडी हवा लगती। धनीराम के कमरे में उसे बड़ा आराम था। न घोंसला बनाने की तोहमत न आंधी तूफान में घोंसला टूटने का डर। लेकिन एक रात धनीराम जल्दी खड़ा होकर कहीं बाहर चला गया। सुबह हो गई लेकिन धनीराम ने आकर दरवाजा नहीं खोला। चिड़ी अंदर कैद हो गई। बाहर चिड़ियाए चहचहा रही थी। उड़ रही थी। लेकिन वह अंदर बंद थी। उसने कमरे में चारों और कई चक्कर लगाये। लेकिन बाहर निकलने के लिए उसे कोई सुराख़ नजर नहीं आया। चिड़ी बहुत घबराई। दिन ज्यों ज्यों चढ़ रहा था, उसकी घबराहट बढ़ रही थी। इसी प्रकार दोस्तों हमें खुद पर न...
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