रोग तथा इसके कारण : What is Disease

रोग किस तरह के दिखाई देते हैं?

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आओ, रोग के विषय में और अधिक सोचें। पहले यह कि हमें कैसे पता लगता है कि हमें कोई रोग है? अर्थात् कैसे पता लगता है कि शरीर में कुछ दोष है? हमारे शरीर में अनेकऊतक होते हैं। ये ऊतक हमारे शरीर के क्रियात्मकतंत्रों अथवा अंगतंत्रों को बनाते हैं जो शरीर केविभिन्न कार्यों को संपादित करते हैं। प्रत्येक अंगतंत्रा मेंविशेष अंग होते हैं जिनके विशेष कार्य होते हैं, जैसेःपाचन तंत्रा में आमाशय तथा आँत्रा होते हैं, जो हमारे द्वारा खाए गए भोजन को पचाते हंै। पेशियों तथा अस्थियों से बना पेशी-कंकाल तंत्रा, हमारे शरीर कोसंभालता है और शरीर की गति में सहायता करता है।

जब कोई रोग होता है तब शरीर के एक अथवा अनेक अंगों एवं तंत्रों में क्रिया अथवा संरचना मेंखराबीपरिलक्षित होने लगती है। ये बदलाव (परिवर्तन) रोग के लक्षण दर्शाते हैं। रोग के लक्षणहमें खराबीका संकेत देते हैं। इस प्रकार सिरदर्द,खाँसी, दस्त, किसी घाव में पस (मवाद) आना, ये सभी लक्षण हैं। इन लक्षणों से किसी-न-किसी रोग का पता लगता है। लेकिन इनसे यह नहीं पता चलताकि कौन-सा रोग है? उदाहरण के लिए, सिरदर्द का कारण परीक्षा का भय अथवा इसका अर्थ मस्तिष्कका वरण शोथ होना अथवा दर्जनों विभिन्न बीमारियों में से एक हो सकता है।

रोग के चिन्ह वे हैं जिन्हें चिकित्सक लक्षणों केआधर पर देखते हैं। लक्षण किसी विशेष रोग के बारेमें सुनिश्चित संकेत देते हैं। चिकित्सक रोग के सहीकारण को जानने के लिए प्रयोगशाला में कुछ परीक्षणभी करवा सकता है।


तीव्र (प्रचंड) तथा दीर्घकालिक रोग (बीमारी)

रोगों की अभिव्यक्ति भिन्न-भिन्न हो सकती है और कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें सबसे स्पष्ट कारक जिससे रोग का पता चलता है, वह है अवधि। वुफछ रोगों की अवध् िकम होती है जिन्हें तीव्र रोग कहते हैं। हम सभी ने अनुभव किया है कि खाँसी-जुकाम बहुत कम अवध् ितक रहते है। अन्य ऐसे रोग हैं जो लंबी अवध् ितक अथवा जीवनपर्यंत रहते हैं, ऐसे रोगों को दीर्घकालिक रोग कहते हैं। इसका एक उदाहरण एलिप़ फेनटाइसिस अथवा पफीलपाँव रोग है। यह भारत के वुफछ क्षेत्रों में बहुत आम है।


दीर्घकालिक रोग तथा अस्वस्थता

जैसा कि हम कल्पना कर सकते हैं कि तीव्र तथा दीर्घकालिक रोगों के हमारे स्वास्थ्य पर भिन्न-भिन्न प्रभाव होते हंै। कोई भी रोग जो हमारे शरीर के किसी भी भाग के कार्य को प्रभावित करता है, तो वह हमारे सामान्य स्वास्थ्य को भी प्रभावित करेगा। क्यांेकि सामान्य स्वास्थ्य के लिए शरीर के सभी अंगों का समुचित कार्य करना आवश्यक है। लेकिन तीव्र रोग, जो बहुत कम समय तक रहता है, उसे सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित करने का समय ही नहीं मिलता। लेकिन दीर्घकालिक रोग हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
उदाहरणतः खाँसी-जुकाम के विषय में सोचो जो हम सभी को प्रायः होता रहता है। हममें से अधिकांश लगभग एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं और हमारे स्वास्थ्य पर कोई विशेष वुफप्रभाव नहीं पड़ता। खाँसी-जुकाम के कारण हमारा वजन भी कम नहीं होता, हमारी साँस भी नहीं पूफलती, हम सदैव थकान भी महसूस नहीं करते। लेकिन यदि हम दीर्घकालिक रोग जैसे- पफेपफड़ों के क्षय रोग से संक्रमित हो जाएँ तो कई वर्षों तक बीमार होने के कारण वजन कम हो जाता है और हर समय थकान महसूस करते हैं।
यदि आप तीव्र रोग से पीडि़त हैं तो आप वुफछ दिनों के लिए विद्यालय नहीं जा सकते हैं लेकिन यदि दीर्घकालिक रोग से पीडि़त हैं तो हमें स्वूफल में पढ़ाई को समझने में कठिनाई होगी और हमारे सीखने की क्षमता भी कम हो जाएगी अर्थात् हम काप़ फी समय तक अस्वस्थ रह सकते हैं। इसलिए दीर्घकालिक रोग तीव्र रोग की अपेक्षा लोगों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक विपरीत प्रभाव बनाए रखता है।


रोग के कारक

रोग के क्या कारण है? जब हम रोग के कारण के विषय में सोचते हैं तब हमें यह याद रखना चाहिए कि इस कारण के बहुत से स्तर होते हैं। आओ, एक उदाहरण लें। यदि कोई छोटा बच्चा पतले दस्त ;सववेम उवजपवदेद्ध से ग्रस्त है तो हम कह सकते हैं कि इसका कारण वायरस है। इसलिए रोग का तात्कालिक कारण वायरस है।
लेकिन अगला प्रश्न उठता है वाइरस कहाँ से आता है ? मान लो कि हमें पता लगता है कि वायरस दूषित जल पीने से आता है। लेकिन अन्य बच्चों ने भी तो दूषित जल पिया है। तब इसका क्या कारण है कि एक बच्चे को ही दस्त लग गया और दूसरों को नहीं?
इसका एक कारण यह हो सकता है कि बच्चा स्वस्थ्य न हो। जिसके परिणामस्वरूप, ऐसा संभव हुआ कि जब यह बच्चा वायरस के संपर्वफ में आता है, तो वह बीमार हो जाता है जबकि अन्य बच्चे नहीं। अब प्रश्न उठता है कि बच्चा स्वस्थ्य क्यों नहीं है? शायद बच्चे का पोषण ठीक न हो और वह पर्याप्त भोजन न करता हो। अतः पर्याप्त पोषण का न होना ही रोग का दूसरा कारण है। बच्चा पर्याप्त पोषण क्यों नहीं पाता? शायद बच्चे के माता-पिता गरीब हों।

यह भी संभव है कि बच्चे में आनुवंशिक भिन्नता हो जो वायरस के संपर्वफ में आने पर पतले दस्त से प्रभावित हो जाता है। केवल आनुवंशिक विभिन्नता अथवा कम पोषण भी बिना वायरस के पतले दस्त नहीं उत्पन्न कर सकते। लेकिन ये भी रोग के कारण में सहयोगी बनते हैं।

बच्चे के लिए साफ पानी उपलब्ध् क्यों नहीं था? शायद जहाँ बच्चे का परिवार रहता है वहाँ पर खराब लोक सेवाओं के कारण साप़ फ पानी उपलब्ध् न हो। इस प्रकार गरीबी तथा लोक सेवाओं की अनुप्लब्धता बच्चे की बीमारी के तीसरे स्तर के कारण हैं।

इस प्रकार अब यह स्पष्ट हो गया है कि सभी रोगों के तात्कालिक कारण तथा सहायक कारण होते हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के रोग होने के एक नहीं बल्कि बहुत से कारण होते हैं।

अगली पोस्ट में पढ़े संक्रामक एवम् असंक्रामक रोग क्या है और कैसे बच्चे इनसे?
 

 

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