छोटी माता, हैजा, अतिसार रोगों से बचने की Tips



1. दस्त की स्थिति में बच्चा सामान्य से अधिक बार मल त्याग करने लगता है।
2. दस्त चावल के पानी के समान पतले व सफेद रंग के होते हैं।
3. अतिसार की स्थिति में मल के साथ-साथ श्लेष्मा व रक्त का निष्कासन भी होता है।
4. दस्त के कीटाणु जल, भोजन व धूल मिट्टी के साथ बच्चे के पेट में पहुँच कर अपनी वृद्धि करते हैं।
5. बच्चे को दस्त लगभग 6-7 माह की उम्र में प्रारम्भ होते हैं जब बच्चा ऊपरी भोजन लेना प्रारम्भ करता है, घुटनों चलने लगता है व उसके दाँत निकलने शुरू हो जाते हैं।
6. दस्त के उपचार के लिये उसे ओ.आर.एस. का घोल पिलायें, घर पर बने तरल भोज्य पिलायें, स्तनपान बराबर कराते रहें तथा भोज्य पदार्थों को बनाने में स्वच्छता का ध्यान रखें।
7. हैजा संदूषित जल एवं संदूषित भोज्य पदार्थों द्वारा संचारित होता है।
8. हैजा से ग्रसित व्यक्ति को दस्त के साथ कै होने लगती है।
9. हैजा में रोगी के शरीर से पानी तरल दस्त एवं कै के रूप में बाहर निकल जाता है।
10. हैजा से बचाव हेतु व्यक्ति को शुद्ध पेय जल व शुद्ध भोज्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये तथा स्वच्द वातावरण में रहना चाहिये।
11. आवश्यकता पड़ने पर व्यक्ति को समय पर हैजे का टीका लगवाना चाहिये।
12. चिकन पॉक्स एक विषाणु जनित संक्रमण है जिसमें बुखार आता है और त्वचा पर गुलाबी रंग के दाने विकसित हो जाते हैं।
13. चिकन पोक्स में गुलाबी रंग के दाने मुख्यतः पीठ, पेट, गर्दन एवं सिर पर दिखाई देते हैं।
14. शिशु चिकन पॉक्स में 7 दिनों तक संक्रामक रहता हैं।
15. चिकन पॉक्स से ग्रसित शिशु का पृथक्करण आवश्यक है।
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