शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ का जन्म सन् 1911
में काशी में हुआ। उनकी शिक्षा काशी के हरिश्चंद्र कोलेज, क्वींस कोलेज एवं
काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हुई। रुद्र जी ने स्वूफल एवं विश्वविद्यालय मंे
अध्यापन कार्य किया और कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया। बहुभाषाविद् रुद्र जी एक
साथ ही उपन्यासकार, नाटककार, गीतकार, व्यंग्यकार, पत्राकार और
चित्राकार थे।
उनकी प्रमुख
रचनाएँ हैं - बहती गंगा, सुचिताच (उपन्यास), ताल
तलैया, गशलिका, परीक्षा
पचीस (गीत
एवं व्यंग्य गीत संग्रह)।
उनकी अनेक संपादित रचनाएँ काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हुईं हैं। वे सभा के प्रधनमंत्री
पद पर भी रहे। सन् 1970 में उनका देहांत हो गया।
रुद्र जी अपनी जन्मभूमि काशी के प्रति आजीवन निष्ठावान रहे
और उनकी यही निष्ठा उनके साहित्य में व्यक्त हुई है, विशेषकर उनकी अनुपम कृति बहती गंगा में। बहती गंगा को कुछ
विद्वान उपन्यास मानते हैं तो वुफछ उसे कहानी-संग्रह भी मानते हैं।
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