महाभारत के छठे
खंड का हिस्सा है भागवद गीता। ऐसा लगता है कि इस ग्रंथ की रचना अलग से की गई थी
लेकिन कालांतर में यह महाभारत का अंग बन गई। इसकी रचना शायद ईसा की पहली या दूसरी
सदी में हुई। इस पर टीकाएं और व्याक्यात्मक पुस्तकें लिखी गई, जो गीता जितनी ही महत्वपूर्ण हो र्गइ। पहली टीका आदि शंकराचर्य ने लिखी थी।
इसके अलावा भास्कर, रामानुज, नीलकम्ठ, श्रीधर और मधुसूदन की प्राचीन टीकाएं उपलक्ध हैं, जिन्हें गीतोपनिषद भी कहा जाता है। गीता पर कुछ प्रसिद्ध टीकाएं इस प्रकार
हैं- गीता भाष्य: आदि शंकराचर्य,
ज्ञानेश्वरी: ज्ञानेश्वर
महाराज ने गीता का संस्कृत से मराठी में अनुवाद किया। श्रीमद भागवद गीता यथारुप:
प्रभुपाद, गीता रहस्य: बाल गंगाधर तिलक, अनासक्ति योग: महात्मा गांधी,
गीताई: विनोबा भावे, गीता तत्व विवेçचनी: जय दयाल गोयंदका, बसंतेश्वरी भागवद गीतापरो बसंत प्रभाष जोशी।
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