ATM क्या है? इसके बारे में सबकुछ जाने



ATM का पूरा अर्थ क्या है? ATM का पूरा अर्थ है- ऑटोमेटेड टैलर मशीन। टैलर को सामान्यत: क्लर्क या कैशियर के रुप में पहचानते हैं। ATM की जरुरत पश्चिमी देशों में वेतन बढ़़ने और प्रशिक्षित लोगो की संक्या में कमी के चलते पैदा हुई। काम को आसान और सस्ता बनाने के अलावा यह ग्राहक के लिए सुविधाजनक भी है। व्यावसायिक संस्थानों में सेल्फ सर्विस की अवधारणा बढ़़ी है। इसके आविष्कार का श्रेय आमेर्नियाई मूल के अमेरिकी लूथर जॉजर् सिमियन को जाता है। उसने 1939 में इस प्रकार की मशीन तैयार कर ली थी, जिसे शुरु में उसने बैंक मेटिक का नाम दिया था। लेकिन इस मशीन को किसी ने स्वीकार नहीं किया था। बैंक अपने कैश को लेकर संवेदनशील होते हैं। वे एक मशीन के सहारे अपने कैश को छोड़ने का जोखिम मोल लेने को तैयार नहीं थे। लूथर इसके विकास में लगा रहा और 21 साल बाद जून 1960 में उसने इसका पेटेंट फाइल किया। फरवरी 1963 में उसे इसका पेटेंट मिला। इसी बीच सिटी बैंक ऑफ न्यूयार्क (आज का सिटी बैंक) को इसका प्रयोगात्मक रुप से इस्तेमाल करने के लिए राजी कर लिया गया। छह माह के ट्रायल में यह मशीन लोकप्रिय नहीं हो पाई। साठ के दशक में ही क्रेडिट कार्ड का चलन शुरु हो जाने के कारण जापान में इस तरीके की मशीन की जरुरत महसूस की गई। तब तक कुकछ और लोगों ने मशीनें तैयार कर ली थीं। जापान में 1966 में एक कैश डिस्पेंसर लगाया गया, जो चल निकला। उधैर 1967 में, लंदन में बा·र्लेज बैंक ने ऐसी मशीन लगाने की घोषणा की। उस मशीन को तैयार किया था, भारत में जन्मे स्कॉटिश मूल के जॉन शेफर्ड ने। इस मशीन में तब से काफी बदलाव हो चुके हैं। इलेक्ट्रोनिक्स और इंस्ट्रमेंटेशन के बुनियादी तौर-तरीकों में काफी बदलाव हो चुका है। मैग्नेटिक स्ट्रिप के कारण इसकी कर्य पद्धति बदल गई है। प्लास्टिक मनी की संस्कृति विकसित होने के कारण इसका चलन बढ़़ता जा रहा है। अब तो आप भारतीय बैंक के कार्ड से अमरीका में भी धन निकाल सकते हैं। यह काफी सुविधाजनक है।

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