यह ऐंठन वाला रोग है तथा क्लोस्ट्रीडियम टिटेनी (Clostridium Tetani) नामक जीवाणु से
होता है जो मिट्टी, धूल, मल, पशुओं के गोबर
आदि में पाया जाता है। शरीर में प्रवेश करने के बाद यह जीवाणु एक घुलनशील विष का
निर्माण करता है जिसका प्रभाव तन्त्रिका तन्त्र तथा पेशीय तन्त्र पर पड़ता है।
मांसपेशियाँ जल्दी-जल्दी संकुचन करती हैं जिससे पेशियों में पीड़ा व ऐंठन होती है।
रोगी मुँह नहीं खोल पाता है। तत्पश्चात् गर्दन, कमर व पेट की मांसपेशियों में ऐंठन होती है। समय रहते उपचार
न करने पर मृत्यु भी हो जाती है।
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