इसे राजयक्ष्मा या तपेदिक भी कहते हैं। यह
विशिष्ट संचारी रोग वायु के
माध्यम से फैलता है। रोग के सूक्ष्म जीवाणु माइको-बैक्टीरियम ट्युबरकुलिन (Micro bacteriun Tuberculin) मनुष्य के
फेफड़ों पर आक्रमण करते हैं। इस रोग में तीव्र थकान व कमजोरी के साथ हल्का
बुखार रहता है। भूख कम लगती है और धीरे-धीरे वजन कम होता जाता है। रोगी को खांसी बनी
रहती है एवं श्वास लेने में कठिनाई होती है। रोग की तीव्रता में खांसी के साथ बलगम व रक्त आने लगता
है। स्वास्थ्य में गिरावट के साथ-साथ व्यक्ति मात्र एक नर कंकाल के रूप में दिखाई देता है।
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