दोस्तों आज मैं आपके साथ 5 चुनी हुई हिंदी कहानियां लेकर आया हू जिन्हें पढ़कर आप सहज और अच्छा महसूस करेंगे और जिनसे हमें 5 अलग - अलग शिक्षाएँ मिलेगी।
दोस्तों हमें अपने कर्मों से ही स्वर्ग या नरक मिलता है इसलिए “अपने कामों को पूरी इमानदारी से करना ही सच्ची पूजा है।“
1. छोटी चीज में
बड़ी बात –
एक बालक ने अपनी माँ को कुछ लिखते देखा, तो बोला, ‘माँ, आप पेन्सिल से क्यों
लिख रही है?’ माँ बोली, ‘बेटा, मुझे
पेन्सिल से लिखना अच्छा लगता है। इसमें कई गुण है।’ बालक चौंका और बोला, ‘दिखने
में तो यह और पेन्सिलों जैसी ही है। लिखने के आलावा इसमें और कौनसा गुण है?’ माँ
बोली, ‘यह जीवन से जुडी कई अहम सीखे हमें सिखाती है। इसके पांच गुण तुम अपना लो,
तो इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकोगे। पहला गुण – तुम्हारे भीतर बड़ी से बड़ी
उपलब्धि हासिल करने की योग्यता है। लेकिन तुम्हे सही दिशा में निर्देशन चाहिए। यह
दिशा निर्देशन वह ईश्वर देगा और हमेशा अच्छी राह पर चलाएगा। दूसरा गुण –
लिखते-लिखते बीच में रुकना पड़ता है। पेन्सिल की नोंक को पैना करना पड़ता है। इससे
इस कष्ट होता है लेकिन यह अच्छा लिख पाती है। इसलिए अपने दुःख, हार को धैर्य से
सहन करों। तीसरा गुण – पेन्सिल गलतिया सुधारने के लिए रबड़ के प्रयोग की इजाजत देती
है। इसलिए कोई गलती हो तो उसे सुधार लो। चौथा गुण – पेन्सिल में महत्व बाहरी लकड़ी
का नहीं, अंदर के ग्रेफाइट का है इसलिए अपने बाहरी रूप से ज्यादा अपने अंदर चल रहे
विचारों पर गौर करें। पांचवा गुण – पेन्सिल हमेशा निशान छोड़ जाती है। तुम भी अपने
कामों अच्छे निशान छोड़ो।
मित्रों
इस प्रकार छोटी-छोटी चीजों से भी बड़ी चीज समझी जा
सकती है और अपने जीवन को परिवर्तित किया जा सकता है।
2. कर्तव्य पालन
है सच्ची साधना –
एक राजा की इच्छा सन्यास लेने की हुई। वह घर छोड़ कर वन की ओर चल
दिया। काफी दूर तक चलने के बाद उस एक झोपडी दिखाई दी। यह झोपडी एक किसान की थी। राजा बहुत भूखा था उसने
किसान से कुछ खाने के लिए माँगा। किसान ने हांड़ी में खिचड़ी
डाल दी कहा अब आप इतना कर दीजिए कि चुला जलाकर इसे पका दीजिए। जब यह पाक जायें तो मुझे आवाज देकर बुला लीजिएगा। हम
दोनों से खाकर पैर भर लेंगे। राजा ने ऐसा ही किया। जब खिचड़ी पक गई तो राजा ने बाहर
काम कर रहे किसान को बुला लिया। दोनों अपनी-अपनी थाली में परोसकर खाने लगे। किसान
ने राजा से कहा – खिचड़ी रूपी काम भगवाना ने दिया है। इसके लिए चुला जलाने और इसे
पकाने जैसा पुरुषार्थ का काम हमें करना होता है। आप साधना करना चाहते है ना तो
कर्मयोग की साधना करें। अपने कर्तव्यों का पालन करें। प्रजा के सुख के लिए काम
करेंगे और अपने कर्तव्य का सही ढंग से निर्वहन करेंगे तो इससे आपको संतोष और भगवान
को भी ख़ुशी मिलेगी। किसान की इन बातों से राजा को सीधा लेकिन गूढ़ तत्व ज्ञान समझ आ
गया। वह खिचड़ी खाने के बाद चुपचाप अपने राज्य में लौट गया। और वहाँ राज्य के हित में
कार्य करने में पुरे मनोयोग के साथ जुट गया।
दोस्तों जीवन में अपने कर्तव्यों
का पालन करने से बड़ी कोई साधन नहीं है।
3. जीवन में
पुरुषार्थ का महत्व –
एक बार एक साधू नदी के किनारे बैठ कर माला जप रहा था एक अन्य व्यक्ति उसे ऐसा
करते हुये बहुत देर से देख रहा था। उस व्यक्ति से रहा नहीं
गया। वह साधू के पास पहुचा और बोला, ‘आप इतनी देर से
कर क्या रहे है?’ साधू बोला ‘देखते नहीं? मैं जप कर रहा हू।‘ उस व्यक्ति से साधू से पूछा ‘आपके इस जप से क्या होगा?’
साधू थोडा गुस्साते हुये बोला, ‘इससे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। इसलिए इतनी देर से
अकेला बैठा जप कर रहा हू।‘ वह व्यक्ति वही साधू के पास बैठ गया और और पास में पड़ी
बालू उठा-उठा नदी में फेंकने लगा। साधू ने उसे ऐसा करते देखा तो पूछा, ‘तुम यह क्या कर रहे
हो?’ वह व्यक्ति बोला ‘मैं नदी में पुल बना रहा हू।‘ साधू बोला, ‘मित्र पुल इस तरह नहीं बना करते। उसके लिए
इंजिनियर, श्रमिक, धन और जरुरी सामान जुटाना पड़ता है। उनके समन्वित प्रयासों से
पुल तैयार होते है। महज बालू डालने से पुल नहीं बनता। साधू की यह बात सुनकर वह
व्यक्ति तुरन्त पलटकर बोला, ‘यही तो मैं कहना चाहता हू। सिर्फ मंत्र बोलने या माला
जपने से स्वर्ग प्राप्त नहीं होता। इसके लिए संयम, ज्ञान, पुरुषार्थ जैसे कार्य भी
तो करने होंगे।‘ एक आम आदमी से ऐसी महत्वपूर्ण बात सुनकर साधू की आँखे खुल गई।
उसने अपनी भूल स्वीकार की और फिर कर्म योगी बन गया।
4. सहयोग की भावना –
एक दिन शरीर की इन्द्रियो ने
सोचा की हम लोग मेहनत कर करके मर जाते है और ये पेट हमारी कमाई मुफ्त में ही खा
जाता है। अब से हम कमाएँगे तो हम खुद ही खाएँगे, नहीं तो काम करना ही बंद कर देंगे।
इस सुझाव पर सबने हामी भर दी। पेट को इस प्रस्ताव का पता चला तो बोला – मैं
तुम्हारी कमाई खुद नहीं रखता हू। जो कुछ तुम लोग देती हो, उसे तुम्हारी शक्ति
बढ़ाने के लिए वापस तुम्हारे पास भेज देता हू। यकीन रखों, तुम्हारा परिश्रम तुम्हे
ही वापस मिल जाता है। यह बात इन्द्रियो के समझ में नहीं आई। उनकी नाराजकी बनी रही।
आपस में रखे गए प्रस्ताव के अनुसार, सभी इन्द्रियो ने काम करना बंद कर दिया। पेट
को भोजन नहीं मिला तो वह भूख से तड़प ने लगा। खुद के शिथिल पड़ने पर वह अब दुसरे
अंगों को भी उर्जा देने में असमर्थ हो गया। इससे शरीर के सारे अंगों की शक्ति नष्ट
होने लगी। शरीर का ऐसा हाल देखकर मस्तिष्क ने इन्द्रियो से कहा – मूर्खो तुम्हार
परिश्रम कोई नहीं खा रहा है। वह लौटकर तुम्हे ही वापस मिलता है। ये मत सोचो की
दूसरों की सेवा से तुम्हारा नुकसान होता है, जो तुम दूसरों को देते हो वह ब्याज
समेते तुम्हारें पास लौटकर आता है। भोजन से मिलने वाली उर्जा के आभाव से जूझ रही
इन्द्रियो को आपसी सहयोग की वास्तविकता समझ में आगई। उन्होंने वापस पहले की तरह
काम करना शुरू कर दिया। और फिर कभी शिकायत नहीं की।
दोस्तों कार्य की सफलता का श्रेय किसी को भी
जायें, यह सम्भव सामूहिक पुरषार्थ से ही होता है।
5.जीवन में सूझ–बुझ से काम लें
एक किसान से थक कर खेत लौट
रहा था। उसे भूख भी बहुत लगी थी लेकिन जेब में एक दो ही सिक्के थे। रास्ते में
हलवाई की एक दूकान पड़ती थी। किसान मिठाई की दुकान पर रुका तो उसकी मिठाइयों की
सुगन्ध का आनन्द लेने लगा। हलवाई ने उसे ऐसा करते देखा तो उसे कुटिलता सूझी। जैसे
ही किसान लौटने लगा हलवाई ने इसे रोक लिया। किसान हैरान होकर देखने लगा। हलवाई बोला – पैसे निकालो। किसान ने बोला पैसे किस बात के? मैंने तो मिठाई खाई ही नहीं। हलवाई ने जवाब दिया तुमने मिठाई खाई बेशक नहीं। लेकिन यहाँ इतनी देर तक खड़े रहकर खुशबु का आनन्द तो लिया ही है। मिठाई की खुसबू लेना मिठाई खाने के बराबर ही है तो तुम्हे इस मिठाई की खुशबु
के पैसे भरने ही होंगे। ऐसे में तुम्हें जाने नहीं
दूंगा। किसान पहले तो घबरा गया लेकिन थोड़ी सुझबुझ
बरतते हुए उसने अपनी जेब में रखे सिक्के निकालें। उन सिक्कों को उसने दोनों हाथों में रखकर खनकाया। जब हलवाई ने इनकी खनक सुन ली तो किसान चुपचाप उन्हें अपनी जेब में रखकर जाने
लगा। हलवाई ने फिर से किसान ने पैसे मांगे तो किसान
ने कहा कि जिस तरह मिठाई की खुशबु मिठाई खाने के बराबर है। उसी तरह सिक्कों की खनक सुनना पैसे ले लेने के बराबर है।
दोस्तों
हमेशा सूझ-बुझ से हर समस्या का हल निकाले।
आपके योगदान के लिए धन्यवाद! ConversionConversion EmoticonEmoticon