1. किशोरावस्था, बाल्यावस्था को
युवावस्था से जोड़ने वाली अवस्था है।
2. इस अवस्था में
बालक-बालिकाओं के दैहिक परिवर्तन वयस्कावस्था की दिशा में होते हैं एवं
बाल्यावस्था के व्यवहार और रुचियों का स्थान युवोचित
व्यवहार और रुचियाँ ले लेती हैं।
3. लड़कियों में
किशोरावस्था 10-11 वर्ष से
प्रारम्भ होकर 17-18 वर्ष तक बनी
रहती है तो लड़कों
में 13-14 वर्ष से प्रारम्भ होकर 21 वर्ष तक बनी रहती है।
4. लड़कियाँ 12वें से 14वें वर्ष के बीच
तथा लड़के 1-2 साल बाद यानि कि
14 से 16 वर्ष के बीच
लैंगिक रूप से परिपक्व होते हैं।
5. यौवनारम्भ, बाल्यावस्था के
अंत व किशोरावस्था के प्रारम्भ का काल है।
6. यौवनारम्भ
लड़कियों में 9-10 वर्ष की आयु में
प्रारम्भ होकर मासिक धर्म की शुरूआत तक जबकि लड़कों में यह 12वें वर्ष से शुरू
होकर प्रथम स्वप्नदोष तक का काल है।
7. यौवनारम्भ के समय
शारीरिक व मानसिक परिवर्तन तेजी से होते हैं। बालोचित शरीर, जीवन के प्रति बालोचित
दृष्टिकोण व व्यवहार पीछे छूट जाते हैं और उनका स्थान परिपक्व शरीर, अभिवृत्तियाँ और व्यवहार ले लेते
हैं।
8. पूर्व
किशोरावस्था तब शुरू होती है जब किशोर लैंगिक दृष्टि से परिपक्व हो जाते हैं। यह
लड़कियों में औसतन 13 वर्ष तथा लड़कों
में 14वें वर्ष में
प्रारम्भ होती है।
9. उत्तर
किशोरावस्था 16-17 वर्ष से
प्रारम्भ होकर 20-21 वर्ष तक बनी
रहती है। इस समय किशोरों के व्यवहार में काफी स्थिरता आ जाती है।
10. जिन
किशोर-किशोरियों में वृद्धि स्फुरण की अवस्था एवं लैंगिक लक्षण औसत आयु के पूर्व
दिखाई देने लगें तथा
इनकी अधिकतम वृद्धि व विकास तथा लैंगिक परिपक्वता भी औसत आयु के पहले पूर्ण हो जाए तो
इन्हें पूर्व (Early maturers) किशोर कहते हैं।
इसके विपरीत अगर वृद्धि
स्फुरण एवं लैंगिक लक्षणों का विकास औसत आयु के बाद
प्रारम्भ हो तथा देर से पूर्ण हो तो उन्हें
पश्च् परिपक्व (Late maturer) किशोर कहते हैं।
11. बालक के
वृद्धिक्रम व सामाजिक व्यवहार पर उसकी लैंगिक परिपक्वता की आयु का प्रभाव देखा गया है।
12. बालकों में
परिपक्व होने की आयु के साथ-साथ परिपक्वता की रफ्तार में भी अंतर पाये जाते हैं।
13. अनुवाँशिकता व
वातावरण, वृद्धि व विकास
को प्रभावित करने वाले दो मुख्य कारक हैं।
14. प्राकृतिक
वातावरण जैसे गर्भावस्था में माँ का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, जलवायु, घर व अन्य भौतिक सुविधाएँ
बालक के विकास को प्रभावित करती हैं।
15. सामाजिक वातावरण
जैसे घर व पारिवारिक सदस्य,
स्कूल, गुरूजन व सहपाठी
तथा सामुदायिक वातावरण बालक के
विकास को प्रभावित करते हैं।
आपके योगदान के लिए धन्यवाद! ConversionConversion EmoticonEmoticon