गोनोरिया (Gonorrohoeae) -
यह रोग ग्राम निगेटिव
बैक्टीरिया (Gram '-ve'
Bactereia) नाइसिरिया
गोनेरिये (Neisseria
Gonohoeae) के कारण फैलता है। इस जीवाणु का विकास काल 2-10 दिनों का रहता है। इस रोग
में मूत्र मार्ग की श्लेष्मिक कला, आँखो तथा स्वर
यंत्र पर व्रण उत्पन्न होना, मूत्र त्याग करते समयअसहनीय जलन, घाव में मवाद भर
जाना, बुखार आना आदि हैं। इस रोग में स्त्रियों के मूत्र मार्ग से
एकपीले रंग का स्त्राव निकलने लगता है। कुछ समय पश्चात् बिना उपचार के ही सारे
लक्षण समाप्त होजाते हैं परन्तु जीवाणु धीरे-धीरे स्त्री के गर्भाशय व फैलोपियन
ट्यूब में प्रवेश कर संक्रमण फैला देते हैंजिससे स्त्रियों में बाँझपन हो जाता है।
रोग का निदानः
इस रोग का उपचार
व रोकथाम भी सिफिलिस रोग की तरह ही किया जाता है।
महत्वपूर्ण
बिन्दु:
1. यौन सम्पर्क से
होने वाले रोग गुप्त या यौन रोग कहलाते हैं।
2. एड्स लाइलाज एवं
संक्रामक रोग हैं। इस रोग से बचाव ही इलाज है।
3. एड्स, एच.आई.वी. (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेन्सी वायरस)
नामक विषाणु के संक्रमण से होता है। इस संक्रमण से
मनुष्य के शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता समाप्त हो जाती है। फलस्वरूप वह
विभिन्न संक्रामक रोगों
से ग्रसित हो जाता है और अंत में ये रोग उसकी मौत का कारण बन जाते हैं।
4. रक्त के परीक्षण
से एच.आई.वी. संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को एचआई.वी. पाॅजिटिव
कहते हैं।
5. एड्स असुरक्षित
यौन संबंधों , संक्रमित रक्त
चढ़ाने, संक्रमित सिरिंज या सुई
के उपयोग, संक्रमित व्यक्ति के अंग का स्वस्थ व्यक्ति
में प्रत्यारोपण या फिर संक्रमित माँ के होने वाले बच्चे व स्तनपान से फैलता है।
6. सामान्य रहन-सहन
जैसे टेलीफोन, कम्प्यूटर,
किताबें, बर्तन आदि का सहभागी रूप में प्रयोग करने
से या शारीरिक
स्पर्श जैसे हाथ मिलाना या साथ उठने-बैठने से एड्स नहीं होता।
7. एड्स से बचाव के
लिए रोग को फैलाने वाले कारणों से बचना चाहिये। इससे बचने के मुख्य उपाय हैं:- सुरक्षित
यौन संबंध, निसंक्रमित सुई, ब्लेड व सिरिंज का उपयोग, यौन रोगियों के साथ यौन संपर्क नहीं करना,
एड्स पीडि़त महिला द्वारा गर्भधारण व स्तनपान
नहीं कराना, केवल जाँच किया हुआ रक्त ग्रहण
करना आदि।
8. यदि व्यक्ति एड्स
संक्रमित है तो उसे ध्यान रखना चाहिए कि वह किसी और को संक्रमित न करे एवं स्वयं भी
किसी बीमारी से संक्रमित न हो।
9. सिफिलिस व गोनोरिया
क्रमशः ट्रेपोनिमा पैलीडम एवं नाइसिरिया गोनेरिये द्वारा फैलता है।
10. सिफिलिस व
गोनिरिया का इलाज प्रारम्भिक अवस्था में आसानी से किया जा सकता है।
11. वेश्यावृति पर
रोक, चिकित्सकीय जांच, संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित न
करके तथा यौन शिक्षा
द्वारा इन रोगो से बचाव किया जा सकता है।
आपके योगदान के लिए धन्यवाद! ConversionConversion EmoticonEmoticon