डीएनए डीआक्सीराइबोन्यूक्लिओटाइड्स का एक लंबा बहुलक है डीएनए की लंबाई सामान्यतया इसमें मिलने वाले न्यूक्लियोटाइड्स ;न्यूक्लियोटाइड्स युग्म का संबन्ध
क्षार युग्म से है। पर निर्भर है। यह किसी भी जीव की विशेषता है। उदाहरणार्थ - एक जीवाणुभोजी जिसे 174 कहते हैं इसमें 5386 न्यूक्लिओटाइडस मिले हैं,
जीवाणुभोजी लैंब्डा में 48502 क्षार युग्म, इस्चेरिचिया कोलाई में 4.6106 क्षार युग्म व मनुष्य के अगुणित डीएनए में 3.3109 क्षार युग्म है। अब इस लंबे बहुलक की संरचना का वर्णन करेंगे।
डोरी पर बीड्स सदृश संरचना
क्रोमोमेटीन में को-िष्ठत होकर क्रोमोमेटीन धागों का निर्माण करती है जो आगे कुंडलित व संघनित होकर कोशिका विभाजन की मèयावस्था में गुणसूत्रा का निर्माण करते हैं। उच्च
स्तर पर क्रोमोमेटीन के पेकेजिंग हेतु अतिरिक्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है जिसे सामूहिक रूप से गैर-हिस्टोन गुणसूत्रीय प्रोटीन ;नान-हिस्टोन क्रोमोमोसोमल प्रोटीन, एन एस सीद्ध कहते हैं। एक प्रारूपी केद्रक में कुछ जगहों पर क्रोमोमेटीन ढीले-ढाले बंधे;हल्के अभिरंजित होते हैं जिसे 'यूक्रोमोमेटीन' कहते हैं। क्रोमोमेटीन जो काफी अच्छे ढंग से बंधे होते हैं व गाढ़े रंग के दिखायी पड़ते हैं
उसे 'हेटोरोक्रोमोमेटीन' कहते हैं।
पॉलीन्यूक्लियोटाइड
श्रंखला की संरचना -
पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रंखला ;डीएनए या RNA की रासायनिक संरचना संक्षेप में निम्न है। न्यूक्लियोटाइड के तीन घटक होते हैं - नाइट्रोजनी क्षार, पेंटोस शर्करा ;RNA के मामले में रिबोस तथा डीएनए में डीआँक्सीरिबोज और एक फोस्फेट ग्रुप। नाइट्रोजनी
क्षार दो प्रकार के होते है - प्यूरीन्स ;एडेनीन व ग्वानिन व पायरिमिडीन ;साइटोसीन, यूरेसिल व थाइमीन। साइटोसीन डीएनए व RNA दोनों में मिलता है जबकि थाइमीन डीएनए में मिलता है। थाइमीन के स्थान पर यूरेसील RNA में मिलता है। नाइट्रोजनी क्षार नाइट्रोजन ग्लाइकोसिडिक बन्ध द्वारा पेंटोस शर्करा से जुड़कर न्यूक्लियोसाइड
बनाता है जैसे - एडीनोसीन या डीआँक्सी एडीनोसीन, ग्वानोसीन या डीआँक्सी ग्वानोलीन, साइटीडीन या डीआँक्सीसाइटीडीन व यूरीडीन या डीआँक्सी थाइमीडीन। जब फोस्फेट समूह फास्पोएस्टर बन्ध द्वारा न्यूक्लीयोसाइड के 5'हाइड्रोक्सील समूह से जुड़ जाता है
तब सम्बन्धित न्यूक्लियोटाइड्स ;डीआँक्सी न्यूक्लियोटाइड्स उप-स्थित शर्करा के प्रकार पर निर्भर है। का निर्माण होता है। दो -न्यूक्लियोटाइड्स 3'-5' फास्पोडाइस्टर बन्ध द्वारा जुड़कर डाईन्यूक्लियोटाइड का निर्माण करता है। इस तरह से कई न्यूक्लियोटाइड्स जुड़कर एक पॉलीन्यूक्लियोटाइड्स श्रंखला का निर्माण करते हैं। इस तरह से निर्मित बहुलक के राइबोज शर्करा के 5' किनारे पर स्वतंत्र फोस्फेट समूह मिलता है जिसे पॉलीन्यू-क्लयोटाइड श्रंखला का 5' किनारा कहते हैं। ठीक इसी तरह से बहुलक के दूसरे किनारे पर राइबोज मुक्त 3' - हाइड्रोक्सील समूह से जुड़ा होता है।पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रंखला
का 3' किनारा
कहते हैं। पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रंखला के आधार का निर्माण शर्करा व पफॉस्पेफट्स से होता है। नाइट्रोजनी क्षार शर्करा अंश से जुड़ा होता है जो आधार
से प्रक्षेपित होता है RNA में
प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड अवशेष के राइबोज की 2' जगह पर एक अतिरिक्त हाइड्रोक्सील समूह -स्थित होता है। RNA में थाइमीन ;5'-मथिल यूरेसील थाइमीन का दूसरा रासायनिक नाम है। की जगह पर यूरेसील मिलता है।
प्रेफडरीच मेस्चर ने 1869 में केद्रक में मिलने वाले अम्लीय पदार्थ डीएनए की खोज की थी। उसने इसका नाम 'न्यूक्लिन' दिया। ऐसे लंबे संपूर्ण बहुलक को तकनीकी कमियों के कारण विलगित करना कठिन था, इस कारण से बहुत लंबे समय तक डीएनए की संरचना के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं थी। मौरिस वि-िल्कन्स व रोजलिंड पैंफकलिन
द्वारा दिए गए एक्स-रे निवर्तन आंकड़े के आधार पर 1953 में जेम्स वाट्सन व प्रफा¡न्सिस त्रीक ने डीएनए की
संरचना का द्विकुण्डली नमूना प्रस्तुत किया। उनके प्रस्तावों में पॉलीन्यूक्लियोटाइड
श्रंखलाओं के दो लडि़यों के बीच क्षार युग्मन की उप-स्थिति एक बहुत प्रमाणित श्रंखला
चेन थी। उपरोक्त प्रस्ताव द्विकुण्डली डीएनए के इर्विन चारगाफ के परीक्षण के आधार पर
भी था जिसमें इसने बताया कि एडनिन व थाइमिन तथा ग्वानिन व साइटोसीन के बीच अनुपात
-स्थित व एक दूसरे के बराबर रहता है। क्षार युग्मन पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रंखलाओं की एक खास विशेषता है। ये श्रंखलाए एक दूसरे के पूरक है इसलिए एक रज्जुक में -स्थित क्षार युग्मों के बारे जानकारी
होने पर दूसरी रज्जुक के क्षार युग्मों की कल्पना कर सकते हैं। यदि डीएनए ;इसे पैतृक डीएनए कहते है.
की प्रत्येक रज्जुक नए रज्जुक के संश्लेषण हेतु टेम्पलेट का कार्य करते हैं। इस तरह
से दो द्विरज्जुकीय डीएनए ;जिसे संतति डीएनए कहते है. का निर्माण होता है जो पैतृक डीएनए अणु के समान होते हैं। इस कारण से आनुवंशिक डीएनए की संरचना के बारे में बहुत स्पष्ट जानकारी मिल सकी।
द्विकुण्डली डीएनए की संरचना की खास विशेषताए निम्न हैं —
- यह दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रंखलाओं का बना होता है जिसका आधार
शर्करा-फोस्फेट का बना होता है व क्षार भीतर की ओर प्रक्षेपी होता है।
- दोनों श्रंखलाए प्रति समानांतर ध्रुवणता रखती है। इसका मतलब एक श्रंखला को
ध्रुवणता 5' से 3' की ओर हो तो दूसरे की ध्रुवणता 3' से 5' की तरह होगी।
- दोनों रज्जुकों के क्षार आपस में हाइड्रोजन बन्ध द्वारा युग्मित होकर क्षार युग्मक बनाते हैं। एडेनिन व थाइमिन जो विपरीत रज्जुकों में होते हैं। आपस में दो हाइड्रोजन बन्ध बनाते हैं। ठीक इसी तरह से ग्वानीन साइटोसलीन से तीन-हाइड्रोजन बन्ध द्वारा बंधा रहता है जिसके पफलस्वरूप सदैव यूरीन के विपरीत दिशा में पीरीमिडन होता है। इससे कुण्डली के दोनों रज्जुकों के बीच लगभग समान दूरी बनी रहती है
- दोनों श्रंखलाए दक्षिणवर्ती कुंडलित होती हैं। कुण्डली का पिच 3.4 नैनोमीटर ;एक नैनोमीटर एक मीटर का 10 करोड़वा भाग होता है वह 10-9 मीटर के बराबर है। व प्रत्येक घुमाव में लगभग 10 क्षार युग्मक मिलते हैं। परिणामस्वरूप एक कुण्डली में एक क्षार युग्मक के बीच लगभग 0.34 नैनोमीटर की दूरी होती है।
- द्विकुण्डली में एक क्षार युग्म की सतह के उपर दूसरे -स्थित होते हैं। इसके अतिरिक्त हाइड्रोजन बन्ध कुंडलिनी संरचना को स्थायित्व प्रदान करते हैं। प्यूरीन व पीरिमीडीन की संरचनात्मक तुलना करो। क्या आप बता सकते हैं कि डीएनए में दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रंखलाओं के बीच की दूरी डीएनए की द्विकुण्डली संरचना का प्रस्ताव यू परिक्रमी है कि आनुवांशिक उलझाव को सरल तरीके से व्याख्या करने में सक्षम है। शीघ्र ही आणविक जीव विज्ञान में फ्रांसिस
क्रिक ने मूल सिध्दांत; सेन्ट्रल डोग्मा का विचार प्रस्तुत किया जिससे स्पष्ट है कि आनुवांशिक सूचनाओं का बहाव डीएनए से RNA व इससे प्रोटीन की तरह रहता
है
;डीएनए - RNA - प्रोटीनद्ध।
कुछ विषाणुओं में उपरोक्त बहाव विपरीत
दिशा RNA से डीएनए की तरफ भी
होता है। क्या तुम इस प्रक्रम के लिए एक साधाराण नाम का सुझाव कर सकते हो?
डीएनए कुण्डली का पैकेजिंग -
लगातार दो क्षार युग्मों के बीच की दूरी 0.34 नैनोमीटर ;0.34×10-9 मीटर मान ली
जाए और यदि एक प्रारूपी स्तनधारात्री कोशिका में डीएनए द्विकुण्डली की लंबाई की
गणना साधाराणतया सभी क्षार युग्म की संख्या को लगातार दो क्षार युग्म के बीच की दूरी
से गुणा करने पर दूरी की गणना कर सकते हैं, वह है 6.6×109 क्षार युग्म ×
0.34 × 10-9 मीटर प्रति
क्षार युग्मद्ध की जाए तो यह लगभग 2.2 मीटर के बराबर
होगी। यह लंबाई प्रारूपी केद्रक की लंबाई-चौड़ई ;लगभग 10-6
मीटर से काफी अधिक है इस तरह एक लंबा बहुलक एक
कोशिका में वैफसे पेकेज्ड होता है? यदि ई.कोलाई डीएनए की लंबाई 1.36 मिलीमीटर है तो क्या आप ई.कोलाई में क्षार युग्मों की संख्या की गणना कर सकते हैं? असीमकेद्रकी जैसी ई.कोलाई जिसमें स्पष्ट केद्रक नहीं मिलता है इसके बावजूद भी डीएनए पूरी कोशिका में नहीं फैला होता है। डीएनए कुछ प्रोटीन धनात्मक आवेशित से बंधकार एक जगह पर -स्थित होते हैं जिसे केद्रकाभ
;न्यूक्लिआएड
कहते हैं। न्यूक्लीआएड में डीएनए बड़े लूपों में व्यव-स्थित होता है जो प्रोटीन से जुड़े होते हैं।
ससीमकेद्रकी/सुकेद्रकी में
यह संरचना और काफी जटिल होती है। आवेशित क्षारीय प्रोटीन का समूह होता है जिसे हिस्टोन्स कहते हैं। इस प्रोटीन का आवेश, आवेशित पाश्र्व श्रंखलाओं में -स्थित एमीनो अम्लों की बहुलता पर निर्भर करता है। हिस्टोन्स में क्षारीय एमीनो अम्लीय लाइसीन व आरजीनीन अधिका मात्राा में मिलते
हैं। दोनों एमीनो अम्ल की पाश्र्व श्रंखलाओं पर èनाात्मक आवेश होता है। हिस्टोन व्यव-स्थित होकर आठ हिस्टोन अणुओं की एक ईकाई बनाता है जिसे हिस्टोन अष्टक कहते हैं। धनाात्मक आवेशित हिस्टोन अष्टक चारो तरपफ से Íणात्मक आवेशित डीएनए से सटा होता है जिसे न्यूक्लियोसोम कहते हैं ;चित्रा 6.4अद्ध। एक प्रारूपी न्यूक्लियोसोम 200 क्षार युग्म की डीएनए कुण्डली होती है। केद्रक में मिलने वाली एक संरचना जिस पर न्यूक्लियोसोम्स एक के बाद
एक मिलते है उसे क्रोमोमेटीन कहते हैं - जो केद्रक में अभिरंजित धागो की तरह की संरचना होती है। इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर न्यूक्लियोसोम्स क्रोमोमेटीन जिस तरह से 'डोरी पर बीड्स' की तरह से दिखाई पड़ते हैं सिध्दांतिक रूप से तुम सोच सकते हो कि एक स्तनधारात्री कोशिका में ऐसे दाने ;न्यूक्लियोसोमद्ध की तरह की रचना की संख्या क्या हो सकती है?
5 comments
Click here for commentskuch jyada smjh me nahin aayaa
ReplyDNA kya hota hai.
ReplyGood job
ReplyThanks
Replyvery nice again friend
Replyआपके योगदान के लिए धन्यवाद! ConversionConversion EmoticonEmoticon