अब धोबी उस मास्टर का इन्तजार करने लगा। जब क्लास छुट गई तो सब
स्टूडेंट्स बाहर चले गए। मास्टर अकेला ही क्लास रूम में बचा तो धोबी क्लासरूम में
गया। मास्टर ने पूछा क्या काम है? तो धोबी ने कहा मैंने सुना अभी आपने क्या कहा।
मेरे पास भी एक गधा है और मैं उसे कई दिनों ने इन्सान बनाने की सोच रहा हू क्या आप
मेरे गधे को इन्सान बना देंगे? मास्टर ने ट्रिक सोच ली और कहा – हाँ बना दूंगा
लेकिन गधे को 6 महीने मेरे पास छोड़ना
पड़ेगा और एक हजार रूपये लगेंगे। धोबी राजी हो गया और गधे को मास्टर के पास छोड़
दिया। मास्टर ने गधे को 6 महीने काम में लिया।
6 महीने बाद
धोबी मास्टर के पास गया और कहा – मेरा गधा कहा है? मास्टर ने कहा – तेरा गधा तो
बहुत चुतर हो गया पास वाले गाँव में चला गया और वहाँ का मुखियां बन गया। धोबी पास
वाले गाँव में गया और वहाँ पर एक सभा हो रही थी सभा में जाकर वहाँ पर बैठे मुखिया
की कॉलर पकड़कर बोला “तू बहुत ज्यादा होशियार हो गया चल मेरे साथ।” मुखियां ने उसे
पूछा क्या कर रहे? कौन हो तुम? तो धोबी ने कहा “तू ही मेरा गधा है” तो मुखियां समझ
गया और कहा मैं तेरा गधा नहीं हू। तेरा गधा तो इस जंगल में चला गया और साधू बन गया।
धोबी जंगल में गया और वहाँ पर एक ध्यान में मग्न बैठे साधू के पास जाकर उसकी ढाढ़ी
पकड़कर बोला “चल मेरे साथ” साधू ने उसे शान्त किया पूछा बात क्या है तो धोबी ने
सारी बात बताई। साधू ने कहा- उस मास्टर ने तुम्हे बेवकूफ बनाया है वह गधा उसी के
पास है। धोबी अपना गधा लेकर चुपचाप चला गया।
इस कहानी से दोस्तों हमें यही सिख मिलती है कि हमे हमेशा सच्चे
मित्र बनाने चाहिए। जिनका साथ देकर और पाकर हम दुनिया की हँसी का पात्र ना बने।
आपके योगदान के लिए धन्यवाद! ConversionConversion EmoticonEmoticon