दो
दोस्त थे। दोनों में काफी अच्छी बनती थी लेकिन दोनों में एक बड़ा अंतर भीथा। एक
दोस्त हर परिस्थिति को नकारात्मकता की नजर से ही देखता थाजबकि दूसरा दोस्त हर
मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी कोई न कोई अच्छी बात ढ़ूंढ़ ही लेता था। एक दिन
दोनों दोस्त शिकार केलिए वन में गए। रास्ते में पहले दोस्त के हाथ में चोट लग गई। चो
एक धारदार चीर सेलगी थी इसलिए उसका अंगूठा कट गया। जब उसने दुखी मन से दूसरे दोस्त
को वहहाथ दिखाया तो उसने उसे सहानुभूति जतातेहुए कहा, इसमें भी कुछ अच्छा ही होगा।तुम चिंता
मत करो। दोस्त की यह बात सुनकर चाेटिल दोस्त को बहुत गुस्सा आया।अपने दोस्त के
व्यवहार को जब वह समझ नहीं पाया तो उससे रहा नहीं गया। वह उसे भला-बुरा कहता हुए
अकेला ही जंगल से बाहर निकलने लगा। रास्ते में उसे कबी लाई लोगों ने घेर लिया और उसे
बलि के लिए तैयार करने लगे। लेकिन अंगूठा कटा होनेकी वजह से उसे छोड़ दिया। शहर
वापस आने पर दोनों दोस्त एक बार फिर मिले। पहलेदोस्त ने दूसरे से कहा, तुम सही थे, मेरे अंगूठे के कटे होने की वजह से ही
मैं आज जिंदा हूं। लेकिन हमारी लड़ाई से क्या अच्छा हुआ? तब दूसरा दोस्त बोला, लड़ाई नहोती, तो हम साथ होते। साथ होते तो बलि मेरी
दे दी जाती। पहले दोस्त को सकारात्मक नजरिया समझ आने लगा था।
दोस्तों
इस हिंदी मोटिवेशनल हिंदी कहानी से यह सिख मिलती है कि जीवन में सकारात्मक रहें।