भाई का साथ, राजा की बात
गाँव बड़ापुर में दो भाई रहते थे — हरि और श्याम। घर बहुत गरीब था। एक छोटा-सा टूटा हुआ झोंपड़ा, खाने को मुश्किल से दो वक़्त की रोटी, और पहनने को पैबंद लगे कपड़े। पर एक चीज़ थी जो सबसे कीमती थी – आपसी प्यार और भाईचारा।
गरीबी के दिन
हरि बड़ा भाई था। बचपन से ही समझदार और ज़िम्मेदार। खेतों में मज़दूरी करता, कुएं से पानी भरता, और छोटे भाई श्याम को पढ़ने भेजता। खुद भूखा रह जाता, पर श्याम को कभी भूखा नहीं सोने देता।
श्याम में काबिलियत थी, और हरि जानता था कि अगर इसे आगे बढ़ाना है, तो उसे मौका देना पड़ेगा। गाँव वाले अक्सर ताना मारते,
"क्या करेगा तेरा भाई पढ़कर? सब्ज़ी बेचेगा?"
पर हरि मुस्कुरा कर कहता,
"मेरा श्याम एक दिन गाँव का नाम रोशन करेगा।"
त्याग का फल
समय बीतता गया। श्याम ने मेहनत की, पढ़ाई पूरी की, और फिर शहर जाकर नौकरी पकड़ ली। वो ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करने लगा, और धीरे-धीरे अपने काम से कंपनी में नाम कमा लिया। कुछ ही सालों में उसने खुद की ट्रक कंपनी शुरू की – “श्याम ट्रांसपोर्ट्स।”
हरि अब भी गाँव में ही था, उसी झोंपड़ी में, पर वो रोज़ भगवान से यही प्रार्थना करता – "मेरा भाई सुखी रहे।"
एक दिन की बात
एक सुबह गाँव में हड़कंप मच गया। छह चमचमाते हुए ट्रक गाँव की सड़कों पर आ रहे थे। लोग अचंभे में थे – “कौन है ये राजा जैसा आदमी?” ट्रकों में लिखा था – “श्याम ट्रांसपोर्ट्स – गाँव बड़ापुर से।”
ट्रकों के बीच से एक शानदार जीप निकली, और उसमें से श्याम उतरा – चमकदार कुर्ता, घड़ी, जूते – पूरा किसी राजा की तरह लग रहा था। लोग उसे घेरने लगे, पर श्याम सीधा उसी पुराने झोंपड़े की तरफ गया। दरवाज़े पर हरि बैठा था – हाथ में मिट्टी से सना लोटा।
श्याम ने दौड़कर हरि के पैर छुए और बोला –
"भैया, आज जो कुछ भी हूँ, आपकी वजह से हूँ। आपने मुझे पेट काटकर पढ़ाया, अब आपकी ज़िंदगी बदलने का समय है।"
श्याम ने झोंपड़ी के पास ही एक नया पक्का मकान बनवाया, खेत खरीदे, और हरि के नाम कर दिए। गाँव वालों की आँखों में आँसू थे – उन्हें आज समझ में आया कि भाईचारा कैसे एक आदमी को राजा बना देता है।
नया रुतबा, पुराना दिल
श्याम अब गाँव में “गाँव का राजा” कहलाता है – लेकिन घमंड नहीं, सेवा का भाव रखता है। वो हर साल गाँव में अनाज बांटता है, स्कूल बनवाया, और हर गरीब बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाता है। जब लोग उससे पूछते हैं,
"श्याम, इतना क्यों करते हो?"
तो वो सिर्फ मुस्कुराता है और कहता –
"जिसने मेरा बचपन भूखा काटा, आज मैं उसके लिए पूरी दुनिया खरीद सकता हूँ। वो मेरा भाई नहीं, मेरा भगवान है।"
सीख:
जो अपने अपनों के लिए त्याग करता है, उसकी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। भाई का साथ, प्यार और बलिदान किसी को भी राजा बना सकता है। और असली राजा वो होता है, जो सब कुछ पाकर भी जड़ों को न भूले।
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