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लैपटॉप वाला करोड़पति

 गाँव नंदपुर में एक लड़का रहता था – अंकित । बेहद साधारण परिवार से था। पिता छोटा-सा किराना स्टोर चलाते थे, घर की हालत तंग थी, लेकिन अंकित के सपने बहुत बड़े थे। उसका एक सपना था – “कुछ ऐसा करूं कि एक दिन मेरे पास भी अपनी ज़मीन हो, और मैं भी अपने माता-पिता को अच्छा जीवन दे सकूं।” लेकिन उसके पास कुछ नहीं था – न कोई पूंजी, न कोई नौकरी , बस एक पुराना-सा लैपटॉप , जो उसके मामा ने किसी ज़माने में उसे पढ़ाई के लिए दिया था। 💻 एक आइडिया जो ज़िंदगी बदल गया एक दिन अंकित यूट्यूब पर कुछ वीडियो देख रहा था – “फ्रीलांसिंग क्या होती है?” , “घर बैठे ऑनलाइन काम कैसे करें?” उसने सोचा, “क्यों न मैं भी कोशिश करूं।” धीरे-धीरे उसने डिज़ाइनिंग, कंटेंट राइटिंग और डिजिटल मार्केटिंग सीखना शुरू किया। सब कुछ इंटरनेट से – कोई कोर्स नहीं, कोई गुरु नहीं, बस लैपटॉप और ज़िद । शुरुआत में उसे छोटे-मोटे प्रोजेक्ट्स मिले – कुछ सौ रुपये के, लेकिन हर काम वो दिल से और समय पर करता। उसकी मेहनत और भरोसे ने काम दिलाना शुरू कर दिया। 📈 पहली कमाई से पहला सपना छह महीने में उसने ₹50,000 कमा लिए। वो दिन उसके लिए त्योहार से...

भाई का साथ, राजा की बात

 गाँव बड़ापुर में दो भाई रहते थे — हरि और श्याम । घर बहुत गरीब था। एक छोटा-सा टूटा हुआ झोंपड़ा, खाने को मुश्किल से दो वक़्त की रोटी, और पहनने को पैबंद लगे कपड़े। पर एक चीज़ थी जो सबसे कीमती थी – आपसी प्यार और भाईचारा । गरीबी के दिन हरि बड़ा भाई था। बचपन से ही समझदार और ज़िम्मेदार। खेतों में मज़दूरी करता, कुएं से पानी भरता, और छोटे भाई श्याम को पढ़ने भेजता। खुद भूखा रह जाता, पर श्याम को कभी भूखा नहीं सोने देता। श्याम में काबिलियत थी, और हरि जानता था कि अगर इसे आगे बढ़ाना है, तो उसे मौका देना पड़ेगा। गाँव वाले अक्सर ताना मारते, "क्या करेगा तेरा भाई पढ़कर? सब्ज़ी बेचेगा?" पर हरि मुस्कुरा कर कहता, "मेरा श्याम एक दिन गाँव का नाम रोशन करेगा।" त्याग का फल समय बीतता गया। श्याम ने मेहनत की, पढ़ाई पूरी की, और फिर शहर जाकर नौकरी पकड़ ली। वो ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करने लगा, और धीरे-धीरे अपने काम से कंपनी में नाम कमा लिया। कुछ ही सालों में उसने खुद की ट्रक कंपनी शुरू की – “ श्याम ट्रांसपोर्ट्स ।” हरि अब भी गाँव में ही था, उसी झोंपड़ी में, पर वो रोज़ भगवान से यही प्र...

इज़्ज़त के बीज

 गाँव रामपुर के किनारे एक हरा-भरा खेत था, जहाँ हर साल मीठे, रसीले तरबूज़ उगते थे। वो खेत गाँव में खास जाना जाता था – श्रीधर बाबा का खेत। श्रीधर बाबा बूढ़े ज़रूर हो चले थे, लेकिन उनका अनुभव, मेहनत और धरती से लगाव ऐसा था कि उनकी फसल हर बार गाँव में सबसे पहले और सबसे बेहतरीन होती। उनके दो बेटे थे – राजू और विजय । राजू बड़ा बेटा था, शांत, विनम्र और हमेशा पिता के साथ खेत में काम करता। विजय छोटा था, थोड़ा बिगड़ा हुआ, पढ़ा-लिखा था, पर गाँव और खेतों से नफ़रत करता था। उसे लगता था कि खेती करना पिछड़ेपन की निशानी है और उसका बाप भी "पुराने ज़माने का गंवार" है। बीज और व्यवहार एक साल की बात है। श्रीधर बाबा ने अपने दोनों बेटों को बुलाया और कहा, "इस बार मैं खेत के दो हिस्से कर रहा हूँ। एक भाग राजू को दूँगा, दूसरा विजय को। देखता हूँ तुम दोनों कौन अच्छी फसल उगाते हो।" दोनों को एक जैसे बीज दिए गए – वही मीठे तरबूज़ के बीज जो बाबा ने वर्षों से संजोए थे। राजू ने बड़े आदर और लगन से खेत तैयार किया। हर सुबह उठकर बाबा के पैर छूता, उनका आशीर्वाद लेता और खेत में उनकी सलाह पर काम करता।...

इज़्ज़त का कर्ज़

 गाँव सोनपुर में एक लड़का रहता था – मुकेश । होशियार था, तेज़ दिमाग़ का मालिक, सपने ऊँचे, पर सोच छोटी। बचपन में उसके पिता गुजर गए थे और माँ ने खेतों में मज़दूरी करके उसे पढ़ाया-लिखाया। मुकेश शहर जाकर बड़ा आदमी बनना चाहता था। माँ हर रोज़ उसे आशीर्वाद देती और कहती, “बेटा, कामयाबी का रास्ता इज़्ज़त से होकर जाता है। मेरी लाज रखना।” मुकेश ने शहर में जाकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। माँ का भेजा हुआ हर एक रुपया वो खर्च करता, लेकिन धीरे-धीरे उसमें बदलाव आने लगा। वो अपने दोस्तों के सामने गाँव और माँ को नीचा दिखाने लगा। कहता, “गाँव वाले गंवार होते हैं, और मेरी माँ? बस एक अनपढ़ औरत है जो खेतों में काम करती है।” शुरू में लोग हँसते थे, लेकिन धीरे-धीरे उसे भी समझ में आने लगा कि शायद वो अपनी जड़ों से कट रहा है, फिर भी अहंकार इतना बढ़ गया था कि वो मानने को तैयार नहीं था। उसकी माँ एक दिन अचानक शहर आ गई, बेटे से मिलने। फटे पुराने साड़ी में, पैरों में चप्पल भी टूटी हुई, लेकिन चेहरा चमकता हुआ – बेटे से मिलने की खुशी में। मुकेश अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में था, माँ को दरवाज़े पर खड़े देखा तो उ...

5 कारण आप सफल नहीं हुयें : How to Get Success in Hindi

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success tips in hindi सफलता के लिए अपने जीवन में अपनाएं कुछ खास बातें। Success tips in Hindi -  आलस्य से दूर रहें जीवन मेंसफलता पाने कामूल मंत्रा है-मेहनत। अगर आप आलस्य से दूर रहते हैं और लक्ष्य प्रा ç प्त के लिए लगातार मेहनत करते रहते हैं तो आपको कभी निराश   नहीं होना पड़ेगा आलोचना से न घबराएं आलोचना से घबराने वाला व्यक्ति कभी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता। आपको आलोचना से घबराने के बजाय अपने लक्ष्य को पाने की दिशा में आगे बढ़़ते रहना चाहिए। अगर आप मेहनत करते रहेंगे तो आपके आलोचक ही आपके प्रशंसक बन जाएंगे। लीक से हटकर काम करें जीवन में सफलता पाने के लिए जरुरी है कि लीक से हटकर काम करें। अपनी सोच में नयापन लाएं। नएं विचारों को तरजीहदें। पुराने रास्तों परचलते रहेंगे तो कुछ नया हासिल नहीं कर पाएंगे। आगे बढ़़ने के लिएअपने रास्ते खुद बनाएं। अपने मेंटर खुद बनें जरुरी नहीं है कि जीवन में आपको हर बार कोई न कोई मेंटर मिले और चीजें सिखाए। खुद अपना मेंटर बनें और अपनी कमियों को दूर करें। हारने का डर मन से निकालें जीवन में आगे बढ़़ने के ...

Lock Screen से होगा हर काम : Work On Lock Screen in Android Phone

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Android यूजर्स की लाइफ में बिंग को लेकर आता है। बिंग में हमेशा सुंदर होम पेज Image होती हैं। यह एप उन्हीं Image को सीधे आपके फोन की लोक स्क्रीन पर ले आता है। स्टार्टर के लिए हर रोज Image बदलती है। आप Image बदलने के लिए फोन को शेक या स्क्रीन को स्वैप कर सकते हैं। आप इन Image को अपने ड़िवाइस के वॉलपेपर के तोर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बिंग सर्च बार भी ऑफर करता है , जिससे आप सीधे ही लोक स्क्रीन से सर्च कर सकते हैं। अगर आप हर बार फोन को अनलोक किए बिना ही कई काम करना चाहते हैं तो यह एप उपयोगी है। Android यूजर्स के लिए यह Free है।

लगन है जरुरी : Hindi Personal Development Story

Hindi Motivational Story -   एक बार मशहूर वैज्ञानिक एडिसन अपनी प्रयोगशाला में किसी जरुरी शोध मेंलगे हुए थे। उनके पास ही मेज पर कई कागज रखे थे , जिनमें उनकी जरुरी गणना एंथीं। अचानक हवा चली और कागज प्रयोगशाला में बिखर गए। एडिसन औरउनके सहयोगी इन कागजों को समेटने मेंजुट गए। एडिसन इन्हें जोड़कर रखने केलिए Clip ढ़ूंढ़ने लगे। क्लिप मिली तोले किन वह टेढ़़ी थी और कागजों पर सही ढ़ंग से लग नहीं पा रही थी। एडिसन उसे सीधी करने में लग गए। उनके साथी ने उन्हें ऐसा करता देखा तो जाकर Clip का नया पैकेट ले आया और कागजों में Clip लगाकर रख दिया। कुछ देर बाद जब वहीसाथी दोबारा लौटा तो देखा कि एडिसन अभीभी Clip को सीधैी करने में लगे थे। वह बोला- आप अभी भी Clip सीधैी कर रहेहैं ? मैं एक घंटे पहले ही Clip लगा चुकाहूं। एडिसन बोले- बात नए या पुराने Clip की नहीं है। बात है किसी समस्या को सुलझाने की। मैं जब किसी काम को हाथमें लेता हूं तो मेरा ध्यान उस काम को पूरा करने पर केन्द्रित रहता है। दोस्तों हमें इस हिंदी कहानी से सिख मिलती है है कि हमें अपने काम को पूरी लगन के साथ करना चाहिए। हिंदी की ऐस...